Tag: MEMORIES

  • I भूली यादें I

    युग बदल गये,
    दिन बीत गये।
    क्यों तुम्हे आना था जीवन में?

    मन की मनुहार, वह करुण पुकार,
    धूमिल मधुर पीड़ा की अनुभूति है।
    अब जीवन की किलकारी में,
    मेरी आंगन की क्यारी में,
    कितने सुन्दर है फूल खिले
    कितने गीतों के तार सजे।
    नूतन प्रसंग हम छेड़ चले,
    नई भावना सब देख रहे।

    मेरी इस सहज सी आत्मकथा में,
    तेरा क्या व्यर्थ काम प्रिये?
    तुम अपरिचित हो, तुम दूर रहो।
    अब मुझको न भाए आवेश,
    तृष्णा का मन में स्थान नहीं।
    ना उलझाओ मुझको भ्रम में,
    पहले वाला अब रोष नहीं।
    विद्रोह नहीं, वो जोश नहीं।
    एक विचित्र रस है इस जीवन में।
    एक विचित्र रस है,
    संतुलन में।

    । भावना ।
    8 Dec 2024